10 साल का नन्हा देशभक्त: श्रवण सिंह की प्रेरणादायक कहानी
10 साल का नन्हा देशभक्त: श्रवण सिंह की प्रेरणादायक कहानी
जब देश की सीमाओं पर हमारे जवान दिन-रात बिना थके हमारी रक्षा में लगे होते हैं, तब देश के हर कोने से कुछ ऐसे नायक उभरकर आते हैं जो दिल छू लेने वाली मिसालें कायम कर देते हैं। ऐसे ही एक छोटे से गाँव से निकलकर, एक मात्र 10 साल के बच्चे ने देशभक्ति की ऐसी मिसाल पेश की, जिसने करोड़ों भारतीयों का दिल छू लिया। हम बात कर रहे हैं श्रवण सिंह की, जिसे हाल ही में भारतीय सेना ने सम्मानित किया है।
कौन है श्रवण सिंह?
श्रवण सिंह राजस्थान के एक सीमावर्ती गाँव का निवासी है। महज़ 10 साल की उम्र में जब बच्चे खिलौनों और कार्टून की दुनिया में खोए रहते हैं, तब श्रवण ने अपनी समझदारी और देशभक्ति से कुछ ऐसा कर दिखाया जिसे देखकर बड़े-बड़े लोग भी नतमस्तक हो जाएँ।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जब भारतीय सेना सीमावर्ती इलाकों में तैनात थी और हालात संवेदनशील थे, तब श्रवण ने अपने गाँव से हर दिन थैलों में भरकर पानी, दूध और लस्सी जवानों तक पहुँचाया। तपती धूप और धूलभरी राहों के बीच वो नन्हे कंधे थकते नहीं थे, क्योंकि उन्हें मालूम था कि वो देश के रक्षक तक राहत पहुँचा रहा है।
श्रवण कुमार की छवि और नाम का प्रभाव
संयोग देखिए, इस छोटे बच्चे का नाम भी श्रवण है — ठीक उसी तरह जैसे पौराणिक काल में श्रवण कुमार, जिन्होंने अपने बूढ़े माता-पिता को कांवर में बैठाकर तीर्थ यात्रा कराई थी। ठीक उसी तरह श्रवण सिंह ने भी उसी सेवा भावना को अपने कर्मों से जिया है।
श्रवण कुमार की छवि — मातृ-पितृ भक्ति और सेवा भावना का प्रतीक
भारतीय सेना ने किया सम्मानित
श्रवण सिंह की यह सेवा और देशभक्ति सेना की नजरों से छिपी नहीं रही। हाल ही में उसे औपचारिक रूप से भारतीय सेना द्वारा सम्मानित किया गया। एक कार्यक्रम में उसे बुलाकर एक सैन्य अधिकारी ने उसे पुरस्कार और स्नेहपूर्वक प्रशंसा दी। साथ ही, यह संदेश दिया कि सच्चा देशभक्त उम्र नहीं देखता, वह केवल अवसर देखता है जहां सेवा की जा सके।
देशभक्ति की परिभाषा बदलता एक बालक
हम अक्सर देशभक्ति को बड़े-बड़े नारों, झंडों और भाषणों में ढूंढते हैं। लेकिन श्रवण सिंह ने यह सिखाया कि सच्ची देशभक्ति वही होती है जो निःस्वार्थ सेवा में हो। उसने यह कभी नहीं सोचा कि उसे इसके बदले क्या मिलेगा। उसने सिर्फ एक ही बात सोची — "मेरे गाँव के पास तैनात जवान भूखे-प्यासे ना रहें।"
एक प्रेरणा पूरे भारत के लिए
आज जब हम बच्चों को मोबाइल, गेम्स और सोशल मीडिया में व्यस्त पाते हैं, तब श्रवण जैसे बच्चे हमें यह उम्मीद देते हैं कि भारत का भविष्य उज्जवल है। उसकी कहानी सिर्फ एक बच्चा और सेना तक सीमित नहीं है, बल्कि वह हर नागरिक के लिए एक प्रेरणा है — चाहे वह किसी भी उम्र या वर्ग से हो।
अगर एक 10 साल का बच्चा अपनी छोटी-सी समझ और मासूम दिल से ऐसा बड़ा कार्य कर सकता है, तो हम सभी को भी आत्मचिंतन करने की जरूरत है कि हम अपने देश के लिए क्या कर सकते हैं। क्या हम अपने आस-पास जरूरतमंदों की मदद कर सकते हैं? क्या हम अपने कर्तव्यों के प्रति थोड़ा और सजग हो सकते हैं? जवाब है — हाँ!
श्रवण सिंह — एक नाम, एक प्रतीक
श्रवण सिंह अब सिर्फ एक बच्चा नहीं है, वो एक प्रतीक बन गया है निःस्वार्थ सेवा और देशभक्ति का। उसकी मुस्कान में सच्चाई है, उसकी आँखों में विश्वास है और उसके कदमों में वो जज़्बा है जो हर भारतीय में होना चाहिए।
इस छोटी सी कहानी में बहुत बड़ी सीख छुपी है — देश की सेवा के लिए किसी बड़ी वर्दी या ताकत की जरूरत नहीं, जरूरत होती है सच्चे दिल और जुनून की। श्रवण जैसे नायक हमें सिखाते हैं कि भारत सच में महान है, क्योंकि यहाँ हर गली, हर गाँव में एक सच्चा देशभक्त छुपा है — बस उसे मंच की जरूरत होती है।
अंत में...
श्रवण सिंह की यह कहानी सुनकर अगर आपकी आँखें नम हो गई हों, तो इसे सिर्फ एक खबर समझकर ना भूलें। इसे अपने जीवन की प्रेरणा बनाएं। अपने बच्चों को ऐसे बच्चों की कहानियाँ सुनाएँ। उन्हें बताएं कि असली हीरो वही होते हैं जो बिना शोर के अपना काम करते हैं।
जय हिंद।
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